निर्वाचनों के लिए अभ्यर्थी होना अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न –
प्रश्न 1 : कोई व्यक्ति जो भारत का नागरिक नहीं है निर्वाचनों के लिए अभ्यर्थी हो सकता है ?
उत्तर : नहीं
कोई व्यक्ति जो भारत का नागरिक नहीं है निर्वाचनों के लिए अभ्यर्थी नहीं हो सकता। भारत के संविधान के अनुच्छेद 84(क) में यह बताया गया है कि कोई व्यक्ति संसद के किसी स्थान को भरने के लिए, चुने जाने के लिए तभी योग्य होगा जब वह भारत का नागरिक हो। राज्य विधान सभाओं के लिए सदृश्य उपबन्ध संविधान के अनुच्छेद 173(क) में विद्यमान हैं।
प्रश्न 2 : लोक सभा या विधान सभा निर्वाचनों में अभ्यर्थी होने के लिए न्यूनतम आयु क्या है ?
उत्तर : पच्चीस वर्ष
भारत के संविधान के अनुच्छेद 84(ख) में उपबंधित है कि लोकसभा निर्वाचन में अभ्यर्थी बनने के लिए न्यूनतम आयु पच्चीस वर्ष है। राज्य विधान सभाओं में अभ्यर्थी बनने के लिए सदृश्य उपबंध लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 36(2) के साथ पठित संविधान के अनुच्छेद 173(क) में विद्यमान है।
प्रश्न 3: यदि मैं किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में मतदाता के रूप में रजिस्ट्रीकृत नहीं हूँ तो क्या मैं निर्वाचन लड़ सकता हूँ ?
किसी निर्वाचन में अभ्यर्थी होने के लिए व्यक्ति को एक निर्वाचक के रूप में रजिस्ट्रीकृत होना आवश्यक है। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 4(घ) किसी व्यक्ति को अभ्यर्थी होने से रोकता है जब तक कि वह किसी संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में निर्वाचक न हो। विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों के लिए सदृश्य उपबंध लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 5(ग) में विद्यमान है।
प्रश्न 4 : मेरा नाम दिल्ली में मतदाता के रूप में रजिस्ट्रीकृत है। क्या मैं हरियाणा या महाराष्ट्र या उड़ीसा से लोक सभा के लिए निर्वाचन लड़ सकता हूँ ?
उत्तर : हाँ
यदि आप दिल्ली में रजिस्ट्रीकृत मतदाता हैं तो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 4(ग), 4(गग) और 4(गगग) के अनुसार लोक सभा के लिए देश में असम, लक्षद्वीप और सिक्किम के अतिरिक्त आप किसी भी निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचन लड़ सकते हैं।
प्रश्न 5 : यदि कोई व्यक्ति किसी अपराध के लिए सिद्धदोष ठहराया गया है और 3 वर्ष के कारावास के लिए दंडावेश दिया गया है तो क्या वह निर्वाचन के लिए अभ्यर्थी हो सकता है ?
उत्तर : नहीं
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(3) के अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी अपराध के लिए सिद्धदोष ठहराया गया है और दो वर्ष या अधिक के लिए कारावास के लिए दंडावेश दिया गया है, तो यह निर्वाचन के लिए अभ्यर्थी होने के लिए निरर्हता होगा।
प्रश्न 6 : यदि वह व्यक्ति जमानत पर है तो क्या उसकी अपील का निपटारा होने तक वह निर्वाचन के लिए अभ्यर्थी हो सकता है ?
उत्तर : नहीं
यदि कोई व्यक्ति, दोष सिद्धि के पश्चात् जमानत पर हो और उसकी अपील का निपटारा होना लम्बित हो तो भी वह भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देशों के अनुसार निर्वाचन के लिए अभ्यर्थी होने के आयोग्य है।
प्रश्न 7 : क्या कारावास में रह रहा कोई व्यक्ति निर्वाचन में मत दे सकता है?
उत्तर : नहीं
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 62(5) के अनुसार कोई भी व्यक्ति, किसी निर्वाचन में मत नहीं देगा, यदि वह कारावास या निर्वासन के दण्डादेश के अधीन या अन्यथा कारावास में रह रहा (कन्फाइंड) है या पुलिस की विधिपूर्ण अभिरक्षा (लॉफुल कस्टडी), में है।
प्रश्न 8 : प्रत्येक अभ्यर्थी को जमानत राशि को जमा करना पड़ती है। लोक सभा के निर्वाचन के लिए जमानत राशि कितनी है ?
उत्तर : दस हजार रुपए
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 34(1)(क) के अनुसार प्रत्येक अभ्यर्थी को लोक सभा निर्वाचनों के लिए रु.10,000/- (दस हजार रुपए मात्र) की जमानत राशि जमा करानी पड़ती है।
प्रश्न 9 : क्या अनुसूचित जाति या अनुसूचित जन जाति के अभ्यर्थी के लिए कोई छूट है ?
उत्तर : हाँ
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की उसी धारा 34 में उपबंधित है कि अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थी को रु.5,000/- (पाँच हजार रुपए मात्र) की जमानत राशि जमा करानी पड़ती है।
प्रश्न 10 : विधान सभा निर्वाचन के लिए जमानत राशि कितनी है ?
उत्तर : पाँच हजार रुपए
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 34(1)(ख) के अनुसार विधान सभा निर्वाचन लड़ने के लिए एक सामान्य अभ्यर्थी को रु.5,000/- की जमानत राशि जमा करानी पड़ेगी। अनुसूचित जाति/जनजाति के अभ्यर्थी को रु.2,500/- (दो हजार पाँच सौ रुपए मात्र) की जमानत राशि जमा करानी होगी।
प्रश्न 11 : लोक सभा निर्वाचन के लिए जमानत राशि पहले कितनी थी ?
उत्तर : 1996 और उससे पहले हुए लोक सभा निर्वाचनों में सामान्य और अनुसूचित जाति/जनजाति के अभ्यर्थियों के लिए जमानत राशि क्रमश: रु.500/- (पाँच सौ रुपए मात्र) और रु.250/- (दो सौ पचास रुपए मात्र) थी
प्रश्न 12 : विधान सभा निर्वाचनों के लिए जमानत राशि पहले कितनी थी ?
उत्तर : 1996 और उससे पहले हुए विधान सभा निर्वाचनों में सामान्य और अनुसूचित जाति/जनजाति के अभ्यर्थियों के लिए जमानत राशि क्रमश: रु.250/- (दो सौ पचास रुपए मात्र) और रु.125/- (एक सौ पच्चीस रुपए मात्र) थी।
प्रश्न 13 : जमानत राशि में यह बदलाव कब हुआ ?
उत्तर : जमानत राशि को बढ़ाने का यह बदलाव 1996 के अधिनियम 21 के द्वारा अगस्त 1996 में लाया गया था।
प्रश्न 14 : यदि आप मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय या राज्यीय दल के अभ्यर्थी हैं तो आपके नामनिर्देशन पत्र में कितने प्रस्तावकों की आवश्यकता होगी ?
उत्तर : एक
यदि आप मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय या राज्यीय दल के अभ्यर्थी हैं तो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 33 के अनुसार आपको निर्वाचन क्षेत्र में के केवल एक निर्वाचक की प्रस्तावक के रूप में आवश्यकता होगी।
प्रश्न 15 : यदि आप निर्दलीय अभ्यर्थी हैं या अमान्यता प्राप्त राजनीतिक दल के अभ्यर्थी हैं तब आपको कितने प्रस्तावकों की आवश्यकता होगी ?
उत्तर : दस
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की उसी धारा 33 में यह उपबंधित है कि एक निर्दलीय अभ्यर्थी या अमान्यता प्राप्त राजनीतिक दल के अभ्यर्थी के नामनिर्देशन पत्र पर निर्वाचन क्षेत्र में प्रस्तावक के रूप में दस निर्वाचकों के हस्ताक्षर कराना होगा।
प्रश्न 16 : क्या कोई व्यक्ति लोकसभा के निर्वाचन में जितना चाहे निर्वाचन क्षेत्रों से अभ्यर्थी हो सकता है ?
उत्तर : नहीं
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 33(7) के अनुसार कोई व्यक्ति लोक सभा निर्वाचन के लिए दो से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों से अभ्यर्थी नहीं हो सकता।
प्रश्न 17 : किन अभ्यर्थियों की जमानत राशि जब्त हो जाती है ?
उत्तर : ऐसे हारे हुए अभ्यर्थी की, जो किसी निर्वाचन क्षेत्र में डाले गए कुल विधिमान्य मतों की संख्या के छठे भाग से अधिक मत प्राप्त करने में असफल होता है, जमानत राशि जब्त हो जाती है।
प्रश्न 18 : भारत में अब तक हुए निर्वाचनों में किसी निर्वाचन क्षेत्र में अब तक अभ्यर्थियों की अधिकतम संख्या कितनी रही है ?
उत्तर : 1996 में हुए तमिलनाडु विधान सभा के लिए हुए साधारण निर्वाचन में तमिलनाडु के मोडाकुरुची निर्वाचन क्षेत्र में 1033 अभ्यर्थी थे। मतपत्र एक छोटी पुस्तिका (बुकलैट) के रूप में था।
प्रश्न 19 : निर्वाचन आयोग ने कुछ राजनीतिक दलों को राष्ट्रीय दल और कुछ अन्य को राज्यीय दल के रूप में मान्यता प्रदान की है। कितने राष्ट्रीय और कितने राज्यीय दल हैं ?
उत्तर : सामान्य निर्वाचन, 2004 के समय निर्वाचन आयोग ने 6 राजनीतिक दलों को राष्ट्रीय दल और 36 राजनीतिक दलों को विभिन्न राज्यों में राज्यीय दल के रूप में मान्यता प्रदान की थी।
प्रश्न 20 : मतदान के दिन प्रत्येक मतदाता को मतदान के लिए मतदान केन्द्र पर जाना होता है। निर्वाचन आयोग के प्रतिमानकों के अधीन एक मतदान केन्द्र को सामान्यतया कितने मतदाता सौंपे जाते हैं ?
उत्तर : ‘रिटर्निंग आफिसरों’ के लिए पुस्तिका के अध्याय 2 के पैरा 2 में निहित निर्वाचन आयोग के अनुदेशों के अनुसार एक परिभाषित मतदान क्षेत्र के लिए सामान्यतया 800-1000 निर्वाचकों के लिए एक मतदान केन्द्र की व्यवस्था होनी चाहिए। फिर भी, असाधारण मामलों में यह संख्या 1000 से अधिक हो सकती ताकि बड़े गावों या नागरीय क्षेत्र में कोई मतदान क्षेत्र विभाजित न हो। जब संख्या 1200 से अधिक हो तब सहायक मतदान केन्द्र स्थापित करना चाहिए। ऐसे क्षेत्रों में जहाँ समाज के कमजोर वर्ग के लोग रहते हों, वहाँ मतदान केन्द्र बनाने के लिए प्रावधान विद्यमान है, चाहे संख्या 500 से भी कम क्यों न हो। यदि कुष्ठ रोग आरोग्यश्रम है तो वहाँ रहने वालों के लिए एक पृथक मतदान केन्द्र बनाया जा सकता है। हाल ही में निर्वाचन आयोग ने देश में मतदान केन्द्रों के सुव्यवस्थीकरण के लिए अनुदेश जारी किए हैं और निर्वाचकों की सीमा को 1500 प्रति मतदान केन्द्र तक बढ़ा दिया है क्योंकि अब इलैक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें उपयोग में लाई जा रही हैं।
प्रश्न 21: सामान्यत: निर्वाचन आयोग के प्रतिमानकों के अधीन मतदान केन्द्र आपके घर से कितनी दूर हो सकता है ?
उत्तर : 2 किलोमीटर से अधिक नहीं
रिटर्निंग आफिसरों के लिए पुस्तिका के अध्याय 2 के पैरा 3 के अनुसार मतदान केन्द्र को इस प्रकार स्थापित किया जाना चाहिए कि सामान्यत: किसी मतदाता को मतदान केन्द्र तक पहुँचने के लिए दो किलोमीटर से अधिक न चलना पड़े।
प्रश्न 22 : जब आप अपने मतदान केन्द्र को पैदल चल कर जा रहे हैं, कोई अभ्यर्थी या उसका अभिकर्ता (एजेंट) आपको मतदान केन्द्र तक मुफ्त सवारी प्रस्तावित करता है। क्या आप सवारी का प्रस्ताव स्वीकार कर सकते हैं ?
उत्तर : नहीं
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 123(5) के अधीन यह भ्रष्ट आचरण है। उसी अधिनियम की धारा 133 के अधीन इस अपराध के लिए कारावास, जो 3 माह तक हो सकता है और/या जुर्माना से दंडनीय है।
प्रश्न 23 : क्या आप ऐसी सवारी, जब आप मतदान के पश्चात् घर जा रहे हों, स्वीकार कर सकते हैं ?
उत्तर : नहीं
उपरिलिखित धारा 123(5) के अधीन निर्वाचक को निर्वाचक को मतदान केन्द्र पर जाने या वापस ले जाने के लिए किसी सवारी का उपयोग भ्रष्ट आचरण है
प्रश्न 24 : कोई आपको एक अभ्यर्थी को मतदान के लिए कुछ धनराशि प्रस्तावित करता है। क्या आप ऐसी धनराशि को स्वीकार कर सकते हैं ?
उत्तर : नहीं
किसी अभ्यर्थी के पक्ष में मतदान के करने लिए धनराशि स्वीकार करना लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123(1) के अधीन रिश्वत देने का भ्रष्ट आचरण है। यह भारतीय दंड संहिता की धारा 171 ख के अधीन भी अपराध है और ऐसी अवधि जिसे एक वर्ष तक बढ़ायी जा सकती है, के लिए कारावास या जुर्माना या दोनों से दंडनीय है।
प्रश्न 25 : कोई आपको किसी विशेष अभ्यर्थी के पक्ष में मतदान न करने के लिए कुछ धनराशि प्रस्तावित करता है। क्या आप ऐसी धनराशि को स्वीकार कर सकते है ?
उत्तर : नहीं
यदि कोई व्यक्ति किसी विशेष अभ्यर्थी के पक्ष में मतदान न करने के लिए धन स्वीकार करता है तो रिश्वत का भ्रष्ट आचरण लागू होगा।
प्रश्न 26 : कोई, किसी विशेष अभ्यर्थी के पक्ष में मतदान करने या न करने के लिए आपको व्हिस्की, शराब या दूसरे नशीले पदार्थ का प्रस्ताव करता है या आपको रात्रिभोज देता है। क्या आप ऐसे प्रस्ताव स्वीकार कर सकते हैं ?
उत्तर : नहीं
किसी विशेष अभ्यर्थी के पक्ष में मतदान करने या न करने के लिए शराब या दूसरे नशीले पदार्थ या रात्रिभोज के प्रस्ताव की स्वीकृति रिश्वत देना है।
प्रश्न 27 : क्या कोई धार्मिक या आध्यात्मिक नेता अपने अनुयायियों को अनुदेश दे सकता है कि वे किसी विशेष अभ्यर्थी को मत दे अन्यथा वे दैवी अप्रसन्नता के पात्र बन जाएंगे ?
उत्तर : नहीं
यदि कोई व्यक्ति किसी मतदाता को इस प्रकार प्रभावित करता है या प्रभावित करने का प्रयत्न करता है कि किसी विशेष अभ्यर्थी के पक्ष में मतदान करे अन्यथा वह दैवी अप्रसन्नता का पात्र बन जाएगा तो वह लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123(2) के अधीन मतदाता पर अनावश्यक प्रभाव डालने के भ्रष्ट आचरण का दोषी होगा।
यह भारतीय दंड संहिता की धारा 171(ग) के अधीन अपराध भी है और या तो ऐसी अवधि, जिसे एक वर्ष तक के लिए बढ़ाया जा सकता है, के लिए कारावास, या जुर्माना या दोनों से दंडनीय है।
प्रश्न 28 : क्या कोई व्यक्ति किसी मतदाता को धमका सकता है कि यदि उसने किसी विशेष अभ्यर्थी को मतदान किया या किसी दूसरे विशेष अभ्यर्थी को मतदान न किया तो उसका बहिष्कार कर दिया जाएगा ?
उत्तर : नहीं
मतदाता को कोई धमकी कि यदि उसने किसी विशेष अभ्यर्थी को मतदान किया या किसी अन्य अभ्यर्थी विशेष को मतदान न किया तो उसका बहिष्कार कर दिया जाएगा, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123(2) के अधीन अनावश्यक प्रभाव डालने संबंधी भ्रष्ट आचरण है और भारतीय दंड संहिता की धारा 171 च के अधीन या तो ऐसी अवधि जिसे एक वर्ष तक के लिए बढ़ाया जा सकता है, के लिए कारावास या जुर्माना या दोनों से दंडनीय है।
प्रश्न 29 : क्या कोई व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को यह कह सकता है कि वह किसी विशेष व्यक्ति के लिए मतदान करे या न करे, क्यों कि वह व्यक्ति किसी विशेष धर्म, जाति या संप्रदाय का है या कोई विशेष भाषा बोलता है ?
उत्तर : नहीं
यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति से किसी व्यक्ति के धर्म, जाति या संप्रदाय या भाषा के आधार पर किसी विशेष व्यक्ति के लिए मत देने या मत न देने के लिए आग्रह करता है तो यह लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123(3) के अधीन भ्रष्ट आचरण है।
प्रश्न 30 : क्या कोई अभ्यर्थी अपने निर्वाचन पर जितना वह चाहे व्यय करने के लिए स्वतंत्र है ?
उत्तर : नहीं
कोई अभ्यर्थी अपने निर्वाचन पर जितना वह चाहे व्यय करने के लिए स्वतंत्र नहीं है। कानून यह उपबंधित करता है कि निर्वाचनों का संचालन नियम, 1961 के नियम 90 के अधीन कुल निर्वाचन व्यय, निहित अधिकतम सीमा से अधिक नहीं होगा। यह भी लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 123(6) के अधीन भ्रष्ट आचरण होगा।
प्रश्न 31 : उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के लिए निर्वाचन व्ययों की सीमा क्या है ?
उत्तर : निर्वाचन व्ययों की सीमा को समय समय पर संशोधित किया जाता है। वर्तमान में
उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के लिए निर्वाचन व्ययों की सीमा 25 लाख रुपए है।
प्रश्न 32 : इन बड़े राज्यों में विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र के लिए निर्वाचन व्ययों की सीमा क्या है ?
उत्तर : वर्तमान में उपरिलिखित बड़े राज्यों में विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों के लिए निर्वाचन व्ययों की सीमा 10 लाख रुपए है।
प्रश्न 33 : 1999 में हुए पिछले साधारण निर्वाचन के समय उपरिलिखित राज्यों में संसदीय व विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों के लिए निर्वाचन व्ययों की सीमा क्या थी ?
उत्तर : 1999 में हुए पिछले साधारण निर्वाचन के समय उपरिलिखित बड़े राज्यों में संसदीय व विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों के लिए निर्वाचन व्ययों की सीमा क्रमश: 15 लाख रुपए व 6 लाख रुपए थी।
प्रश्न 34 : क्या ये सीमाएं सभी राज्यों के लिए समान हैं। यदि नहीं, तो क्या आप किसी संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के लिए वर्तमान न्यूनतम सीमा बता सकते हैं ?
उत्तर : नहीं
अलग अलग राज्यों में निर्वाचन व्यय की अधिकतम सीमा परिवर्तित होती है। दादरा और नागर हवेली, दमण और दीव और लक्षद्वीप की संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में किसी संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के लिए वर्तमान निम्नतम सीमा 10 लाख रुपए है।
प्रश्न 35 : क्या अभ्यर्थियों को निर्वाचन व्ययों का कोई लेखा दाखिल करना आवश्यक है ?
उत्तर : लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 77 के अधीन लोक सभा या राज्य विधान सभा के लिए निर्वाचन में प्रत्येक अभ्यर्थी को निर्वाचन संबंधी उस सब व्यय का जो, उस तारीख, जिसको उसे नाम निर्दिष्ट किया गया है और उस निर्वाचन के परिणामों की घोषणा की तारीख, तक दोनों तारीखों को सम्मिलित करते हुए स्वयं या उसके निर्वाचन अभिकर्ता द्वारा उपगत या प्राधिकृत किया गया है, पृथक् और सही लेखा या तो स्वयं रखना होगा या अपने निर्वाचन अभिकर्ता द्वारा रखवाना होगा। प्रत्येक अभ्यर्थी को निर्वाचन के परिणाम की घोषणा से 30 दिन के अन्दर इस लेखा की एक सही प्रतिलिपि दाखिल करनी होगी।
प्रश्न 36 : वह प्राधिकारी कौन है जिसके पास यह लेखा दाखिल करना होगा?
उत्तर : अभ्यर्थी के द्वारा निर्वाचन व्ययों का लेखा प्रत्येक राज्य में उस जिले के जिला निर्वाचन अधिकारी के पास दाखिल करना होगा, जिसमें वह निर्वाचन क्षेत्र पड़ता है, जहाँ से वह अभ्यर्थी था। संघ राज्य क्षेत्रों के मामले में ऐसे लेखे संबंधित रिटर्निंग आफिसर के पास दाखिल करने होंगे।
प्रश्न 37 : यदि कोई अभ्यर्थी एक निर्वाचन क्षेत्र से अधिक से अभ्यर्थी हो तो उसे क्या पृथक पृथक लेखे या एक ही समेकित लेखा दाखिल करना होगा ?
उत्तर : यदि कोई अभ्यर्थी एक निर्वाचन क्षेत्र से अधिक से अभ्यर्थी है तो उसे प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र, जिसमें वह अभ्येर्थी है, के लिए पृथक पृथक निर्वाचन व्ययों का लेखा दाखिल करना होगा। प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचन एक पृथक निर्वाचन है।
प्रश्न 38 : यदि कोई अभ्यर्थी अपने निर्वाचन व्ययों का लेखा दाखिल नहीं करता तो क्या दंड है ?
उत्तर : लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 10क के अधीन यदि निर्वाचन आयोग का यह समाधान हो जाता है कि कोई व्यक्ति निर्वाचन व्ययों का लेखा समय से और अधिनियम के अधीन या इसके द्वारा अपेक्षित रीति में दाखिल करने में असफल रहा है और इस असफलता के लिए उसके पास कोई समुचित कारण या न्यायौचित्य नहीं है तो उसके पास, उसे संसद के दोनों सदनों या किसी राज्य विधान सभा, या विधान मंडल का सदस्य होने या निर्वाचित होने के लिए 3 वर्ष की अवधि के लिए अयोग्य घोषित करने की शक्ति है।
प्रश्न 39 : वह अंतिम समय-सीमा क्या है जिसके पश्चात् सार्वजनिक सभाएं नहीं की जा सकती या जुलूस नहीं निकाले जा सकते ?
उत्तर : लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 के अनुसार मतदान की समाप्ति के लिए नियत किए गए समय के साथ समाप्त होने वाले अड़तालीस घंटो की अवधि के दौरान किसी सार्वजनिक सभा या जुलूस का आयोजन नहीं किया जा सकता।
प्रश्न 40 : क्या मतदान के दिन कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति का मत उसकी सहमति से भी, डाल सकता है ?
उत्तर : नहीं
मतदान के दिन कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति का मत, उसकी सहमति से भी, नहीं डाल सकता। यदि वह ऐसा करता है तो यह प्रतिरूपण होगा जो भारतीय दंड संहिता की धारा 171 घ के अधीन एक अपराध है। यह अपराध या तो ऐसी अवधि, जिसको एक वर्ष तक के लिए बढ़ाया जा सकता है, कारावास या जुर्माना या दोनों से दंडनीय है।
प्रश्न 41 : क्या कोई व्यक्ति एक से अधिक बार मतदान कर सकता है चाहे निर्वाचक नामावली में उसका नाम (गलती से ही) एक से अधिक स्थान पर सम्मिलित है ?
उत्तर : नहीं
कोई भी एक से अधिक बार मतदान नहीं कर सकता है चाहे उसका नाम एक से अधिक स्थान पर लिखा हो। यदि वह ऐसा करता है तो वह प्रतिरूपण का दोषी होगा और जो उपरिलिखित के समान दंडनीय होगा।
प्रश्न 42 : यदि आप मतदान केन्द्र पर जाते हैं और पाते हैं कि किसी और व्यक्ति ने आपका प्रतिरूपण कर दिया है और आपके नाम से, पहले ही मतदान कर दिया गया है, तो क्या आप ऐसी दशा में मतदान कर सकते हैं?
उत्तर : हाँ
यदि कोई व्यक्ति पाता है कि किसी और ने उसके नाम से, पहले ही मतदान कर दिया है तब भी उसे मतदान करने की अनुमति दी जाएगी। परन्तु उसके मतपत्र को पीठासीन अधिकारी द्वारा निविदत्ता मतपत्र चिन्हित किया जाएगा। निर्वाचनों का संचालन नियम, 1961 के नियम 42 के अनुसार इसे निर्धारित लिफाफे में अलग रखा जाएगा।