जो लहरों से आगे नज़र देख पाती
तो तुम जान लेते,
वो आवाज़ जो तुमको भी जो भीड़ में जाती
तो तुम जान लेते,
मैं क्या सोचता हूँ,
ज़िद का तुम्हारे जो पर्दा सरकता,
तो खिड्कियों से आगे भी तुम देख पाते
आँखों से आदतों की जो पलकें हटाते
तो तुम जान लेते मैं क्या सोचता हूँ
मेरी तरह होता खुद पर ज़रा भरोसा
तो कुछ दूर तुम भी साथ-साथ आते
रंग मेरी आँखों का बांटते ज़रा सा
तो कुछ दूर तुम भी साथ-साथ आते
नशा आसमान का जो चूमता तुम्हें भी,
हसरतें तुम्हारी नया जन्म पाती,
खुद दूसरे जन्म में मेरी उड़ान छूने
कुछ दूर तुम भी साथ-साथ आते